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श्री राजेश सुमन
श्री राजेश सुमन ने राष्ट्रीय विधि संस्थान विश्वविद्यालय भोपाल से बी.ए. एल.एल.बी (आनर्स) की उपाधि प्राप्त की और बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय से संबद्ध केरियर कॉलेज से एल.एल.एम. उत्तीर्ण किया। राजेश सुमन ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का राष्ट्रीय पात्रता जाँच वर्ष 2012 में भी योग्यता प्राप्त की है। आगे उन्होंने ’एलाएंस फ्रांस’ भोपाल से फ्रेंच भाषा में इंटरमीडिएट प्रमाण पत्र प्राप्त किया।
श्री राजेश सुमन फरवरी 2010 में विधि एसोसिएट के रूप में राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी से जुड़े और फिर वे शोधार्थी के रूप में सन् 2012 में चुने गए। अप्रैल 2014 में वे एन.जे.ए. (रा.न्या.अ.) में सहायक प्राध्यापक बन गए।
राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी में श्री राजेश सुमन ने कनिष्ठ संभाग के सिविल न्यायाधीशों, अपर जिला न्यायाधीशों, मुख्य जिला न्यायाधीशों और उच्चन्यायालय के न्यायाधीशों सहित विभिन्न स्तरों के न्यायाधीशों के लिए कार्यक्रमों की संरचना और संयोजन किया है। श्री राजेश ने श्रीलंका के न्यायाधीशों के लिए भी कार्यक्रमों की संरचना और संयोजन किया है। श्री राजेश सुमन ने राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी के कार्यक्रमों में शोध एवं संयोजन के माध्यम से सतत न्यायिक शिक्षा के अनेक क्षेत्रों में कार्य किया है। इन क्षेत्रों में वाणिज्यिक विवादों में अधिनिर्णयन, न्याया तक पहुँच, किशोर न्याय प्रणाली, अपराध न्याय प्रणाली, संवैधानिक नियम, न्यायालय प्रबन्धन, मामला प्रबन्धन एवं न्यायिक कर्म मापन प्रणाली सम्मिलित है।
राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी से जुड़ने के पूर्व श्री राजेश ने मध्यप्रदेश पर आधारित तीन अशासकीय संगठनों को योगदान दिया है और अनेक परियोजनाओं को कार्यान्वित किया है। उन्होंने झुग्गी बस्तियों के आवासों (संयुक्त राष्ट्र आवास एवं जल सहायता, यू.के. द्वारा पोषित) में भागीदारी विकास से संबंधित मामलों के एक परियोजना में और प्रशासन के विकेन्द्रीकरण का सशक्त करने से संबंधित मामलों संयुक्तराष्ट्र विकास कार्यक्रमों (यू.एन.डी.पी.) के एक परियोजना पर कार्य किए हैं।.
श्री राजेश को तीन प्रकाशनों का श्रेय जाता है :
- ’’विपत्ति ग्रस्तों को मुआवजा : ’’न्याय हेतु खोज’’ नामक पुस्तक में प्रकाशित ’अपराध संहिता 1973 के अनुच्छेद 357 के विशेष सन्दर्भ में ’ नामक शीर्षक पर अध्याय जो राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी द्वारा प्रकाशित की गयी। (आई.एस.बी.एन- 18-925732-0-5)
- मद्रास विधि पत्रिका आपराधिक (2014) एम.एल.जे. (सी.आर.एल) (रीड एल्सेवियर पब्लिशिंग (भारत) प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्रकाशित) में प्रकाशित पत्र-शीर्षक ’’भारत में आपराधिक जाँचों में कानूनी सहायता का सशक्तिकरण : न्यायालयों की भूमिका’’
- संक्षिप्त लेख, शीर्षक - ’’आपराधिक प्रक्रिय संहिता 1973 के अनुच्छेद 357A के अन्तर्गत विपत्तिग्रस्तों को मुआवजा योजना - प्रभावी कार्यान्वय की आवश्यकता’’, राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी द्वारा प्रकाशित न्यूज लेटर, भाग-3, अंक 2, जुलाई 2013 में प्रकाशित।
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